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इसी का नाम ज़िंदगी

सफर ख्वाबों का........
सफर ख्वाबों का........
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कभी घेरा दुखों ने और

कभी यूँ ही मिली ख़ुशी

यही समय, यही चलन

इसी का नाम ज़िंदगी

कहीं पथरीले रास्ते

कहीं काँटों की थी डगर

थे कितने रोड़े राह में

नहीं रुके कहीं मगर

जो रुक गए तो कुछ नहीं

है चलना ही रवानगी

इसी का नाम ज़िंदगी

कड़ी थी धूप भी कभी

कहीं छाया थी पेड़ों की

यूँ ही बढ़ते रहे बग़ैर

किये परवाह थपेड़ों की

कभी भाटा तो ज्वार भी

इसी का नाम ज़िंदगी

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